पुनर्जागरण का अर्थ, विशेषताऐं /प्रकृति, कारण, प्रभाव और परिणाम

यूरोप में पुनर्जागरण 

पुनर्जागरण का अर्थ

  • Renaissance(पुनर्जागरण) french भाषा का शब्द है जिसका अर्थ  है :- नवीन जीवन/ पुनर्जन्म/ फिर से जागना।
  • यूरोप का मध्यकाल प्राचीन रोम और यूनान की समृद्ध संस्कृति की विलुप्ति का काल था। परिणाम स्वरुप मनुष्य के मस्तिक पर रूढ़िवादी चर्च का आवरण छा गया एवं बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो गया।
  • लेकिन 13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिससे एक नवीन चेतना का उदय हुआ। रूढ़िवादिता के स्थान पर तर्कशक्ति को महत्व दिया, अंधविश्वास का स्थान वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने लिया, कला और साहित्य की धर्म से मुक्ति तथा प्रादेशिक भाषाओं का विकास संभव हो सका।
  • अतः प्राचीन रोमन एवं यूनानी सभ्यता से प्रेरणा लेकर जो बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आंदोलन हुआ उसे ही "पुनर्जागरण" कहा गया।
  • रेनेसां(renaissance) 14वीं शताब्दी में इटली में प्रारंभ हुआ और 16वीं शताब्दी तक पूरे यूरोप में फैल गया।
  • रेनेसां शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग इटली के 'वैसारी' ने 16 वीं शताब्दी में स्थापत्य और मूर्तिकला में आये क्रांतिकारी परिवर्तनों के लिए किया।
  • 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान 'दिदरों' ने अपनी पुस्तक encyclopedia  में renaissance का व्यापक अर्थ दिया।

पुनर्जागरण की विशेषताऐं /प्रकृति:-


  1. प्राचीन यूनान एवं रोम की सभ्यताओं से प्रेरित।
  2. अतीत से प्रेरित होने के बावजूद पूर्णत: प्रतिगामी न होकर प्रगतिशील था।
  3. यह रूढ़िवादिता एवं अंधविश्वासों के विपरीत था इसमें तार्किकता को महत्व दिया गया था।
  4.  स्वतंत्र चिंतन को प्रोत्साहन दिया गया।
  5. धर्मनिरपेक्षता के तत्वों से युक्त, धर्म के प्रति सम्मान रखते हुए इसने धर्मेत्तर प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन दिया और  इहलौकिकता पर बल दिया।
  6. कला:-प्राकृतिक सौंदर्य पर आधारित थी।
  7. ग्रीक एवं लैटिन भाषा के स्थान पर देशज भाषा का प्रयोग हुआ एवं लौकिक साहित्य का विकास हुआ।
  8. नवीन भौगोलिक खोजें हुई।


 यूरोप में पुनर्जागरण के कारण:-


 1. क्रुसेड(crusades): 


  • ईसाईयों व मुस्लिमों के पवित्र तीर्थ स्थल जेरूसलम को लेकर 11 वीं शताब्दी से लेकर 13 वीं शताब्दी के मध्य मुस्लिम जगत (सैल्जुक तुर्को) व ईसाई जगत के मध्य होने वाले युद्धों को क्रुसेड कहा गया।
  • Crusades के परिणाम स्वरूप पश्चिम का पूर्व से संबंध स्थापित हुआ जिससे पूर्वी तर्क, दर्शन, साहित्य और वैज्ञानिक खोजों की जानकारी पश्चिम को मिली। इस प्रकार पूर्व से प्राप्त नवीन विचारों ने यूरोप में पुनर्जागरण को संभव बनाया।

 2. व्यापारिक समृद्धि:- 


कहा जाता है कि "crusades made europe rich" क्रुसेड  के बाद यूरोप के पूर्वी देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित हुए परिणाम स्वरूप व्यापार वाणिज्य में वृद्धि हुई, अनेक व्यापारी केंद्रों की स्थापना हुई और  धनिक वर्ग का उदय हुआ। इस समृद्ध वर्ग ने  धन को विद्या-अध्यन में लगाया व कला व सहित्य को संरक्षण प्रदान किया।

 3. नगरों की स्थापना:- 

  •  इटली में फ्लोरेंस, नेपल्स, मिलान, वेनिस जैसे समृद्ध नगरो की स्थापना हुई।
  • फ्लोरेन्स सबसे प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र था जिसे विद्वानों का नगर भी कहा जाता है।

 4. कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार:-

  • 1483 ईस्वी में उस्मानी तुर्कों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य(बाइजेंटाइन) की राजधानी उस कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया। 
  • इस राजधानी ने यूनानी ज्ञान विज्ञान की रक्षा की थी। यहां के दार्शनिक, विद्वान एवं कलाकार यूरोप की तरफ पलायन कर गए तथा प्राचीन यूनान और रोम का ज्ञान-विज्ञान व नवीन चिंतन पद्धति अपने साथ ले गए। अकेला कार्डिनियल बेसारियो 800 पांडुलिपियों के साथ इटली पहुंचा ।
  • कुस्तुनतुनिया पश्चिम को पूर्व से जोड़ता था। जिस पर तुर्कों का अधिकार होने से भू मार्ग बंद हो गया परिणाम स्वरूप नई भौगोलिक खोजें हुई।

5. अरब-मंगोल संपर्क:-

  • 13 वीं शताब्दी कुबलई खां ने विशाल साम्राज्य की स्थापना की। कुबलई खान का दरबार विद्वानों मजहबी प्रचारको एवं व्यापारियों का केंद्र रहा।  इस अरब मंगोल संपर्क के परिणाम स्वरूप अरबी गणित, बीजगणित, कागज प्रेस, कंपास( कुतुबनुमा), बारूद आदि की जानकारी पश्चिम को हुई।
  • 1272 में वेनिस यात्री मार्कोपोलो कुबलई खा के दरबार में गया वहां से लौटकर अपने यात्रा वृतांत में उसने मंगोल साम्राज्य की समृद्धि के बारे में लिखा उसके यात्रा वृतांत से ही प्रभावित होकर कोलंबस आदि यात्रियों ने व्यापारिक मार्गों की खोज की।

6. नवीन आविष्कार:-


 कुतुबनुमा (कंपास ):चीन द्वारा इसका आविष्कार किया गया इससे समुद्री यात्राएं आसान हुई।

कागज: कागज का आविष्कार चीन ने किया। वहां से कागज बनाने का तरीका अरबों ने सीखा एवं अरबों से यूरोप वासियों ने।

मुद्रण यंत्र(type machine): 15 वीं सदी में जर्मनी के गुटेनवर्ग नामक व्यक्ति ने एक टाइप मशीन बना दी। 1477 AD में कैक्सटन ने ब्रिटेन में छापेखाने की स्थापना की। छापेखाने के आविष्कार से प्राचीन  रोमन व यूनानी साहित्य का प्रसार एवं नवीन विचारों का यूरोप के जन-जन तक पहुंचाना अब सरल हो गया।

पुनर्जागरण सर्वप्रथम इटली में क्यों ?


  1.  भौगोलिक स्थिति: अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण इटली विदेशी व्यापार का प्रमुख केंद्र बना।
  2.  समृद्ध नगरों की स्थापना: फ्लोरेंस, मिलान, वेनिस जैसे समृद्ध नगरों की स्थापना से इटली वासियों के रहन-सहन,खान-पान,  सभ्यता और संस्कृति उच्च कोटि की हुई।
  3.  समृद्ध मध्यम वर्ग का उदय: जिसने पॉप एवं सामंत की परवाह नहीं की और मध्यकालीन मान्यताओं को नहीं माना इससे इटली में पुनर्जागरण की नवीन प्रवृत्ति का संचार हुआ।
  4.  पूर्व की समृद्ध संस्कृति से संपर्क
  5.  Italy प्राचीन रोमन सभ्यता की जन्मस्थली थी
  6.  कुस्तुनतुनिया के पतन पर विद्वानों का इटली में आश्रय लेना

साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण का कारण:-


 पुनर्जागरण से पूर्व:

  1. विषय वस्तु धार्मिक थी।
  2. लेखक मुख्यतः पादरी होते थे।
  3. भाषा लैटिन थी।
  4. मध्यकाल में केवल पद्य रचनाओं का संकलन होता था।

  पुनर्जागरण के समय/बाद:


  1.  विषय वस्तु में मानवीय समस्याएं, भावनाएं एवं वेदना आदि को अपनाया गया।
  2.  जन सामान्य लेखकों के रूप में उभरने लगे।
  3.  प्रादेशिक भाषाओं जैसे इटेलियन, फ्रेंच,स्पेनिश, डच, इंग्लिश आदि भाषाओं का विकास हुआ।
  4. पुनर्जागरण काल में गद्य शैली का विकास हुआ। नाटक में व्यंग्य शैली का सूत्रपात भी इसी काल में हुआ।

 इटली के प्रमुख साहित्यकार:-


1.दांते (1265-1321):

  • फ्लोरेंस निवासी दांते को पुनर्जागरण का अग्रदूतपुनर्जागरण का प्रथम व्यक्ति कहा जाता है।
  • प्रमुखता रचनाएं :
    1.  डिवाइन कॉमेडी   
    2.  डि मोनर्किया    
    3. बितानोओ

2.फ्रौसंस्को पैट्रार्क(1321-1374):

  • फ्लोरेन्स निवासी पैट्रार्क ने दांते की तरह स्थानीय टस्कन भाषा  में प्रेम गीत लिखें।  पैट्रार्क को मानवतावाद का जनक भी कहा जाता है।
  • प्रमुख रचना: sonnets to lora
Note: sonnet(चतुर्शपदी गीत) पैट्रार्क की खोज थी।

3.बोकासियो(पैट्रार्क का शिष्य):
  • बोकासियो को लैटिन गद्य  का जनक कहा जाता है।
  • प्रमुख रचनाएं:
    1. डेकोमेरोन:100 कहानियों का संग्रह
    2. जीनियोलोजी ऑफ गोड्स
4.मैकियावेली
16 वीं शताब्दी का राजनीतिक विचारक एवं फ्लोरेंस निवासी अनेक शासकों का सचिव रहा।
प्रमुख रचनाएं:
  1.  The Prince-  तुलना कौटिल्य के अर्थशास्त्र से की जाती है
  2.  The Art of War

 फ्रांस के साहित्यकार:-


1.रेबेलेस: इसकी रचना पांतागुवेल और गारगेंतुआ वैचारिक और साहित्यिक धरातल पर एक ताजी हवा की तरह सिद्ध हुई, जिसमें सांस लेकर फ्रांस को नई स्फूर्ति मिली इसलिए इसकी  पहली पुस्तक को नया संदेश कहा जाता है।

2.मान्टेनलेखन और चिंतन के क्षेत्र में वाल्तेयर का अग्रगामी माना जाता है।

ब्रिटेन के साहित्यकार:-


1.जाफरे चौसर(1340-1400):
  • अंग्रेजी काव्य का जनक कहां जाता है।
  • प्रमुख रचना: कैन्टबरी टैल्स इस पुस्तक में पहली बार सैक्सन बोली का कलात्मक प्रयोग किया इसी से विकसित होकर राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी का उदय हुआ।

2.सर टॉमस मूर: 
  • अपनी प्रमुख रचना यूटोपिया में एक आदर्श समाज की कल्पना की।

3.विलियम शेक्सपियर(1564-1616): 
  • महान कवि एवं नाटककार जिसके नाटक उस द्वंद को प्रस्तुत करते हैं जो सामंत और मध्यम वर्गीय समाज के मध्य पैदा हो गया था।
  • प्रमुख नाटक:
    1. रोमियो जूलियट       
    2. हेमलेट
    3. मेकबेथ               
    4. मर्चेंट ऑफ वेनिस

 4.एडमंड स्पेन्सर:  इनकी प्रमुख रचना फेयरी क्विन है ।

5. क्रिस्टोफ़र मारलो:  प्रमुख रचना निम्न है।
    1. तैमूर लंग द ग्रेट      
    2. एडवर्ड द्वितीय                   
    3. द ज्यूँ ऑफ माल्टा  
    4. डॉक्टर फोस्टस

हालैण्ड का साहित्यकार:-

 इरैस्मस:- 
  • विश्व नागरिक एवं मानववादियों का राजकुमार कहा जाता है। 
  • प्रमुख रचना:
    1. In the Praise of folly( मूर्खता की प्रशंसा): दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तकों में से एक जिसमें ईसाई धर्म के आडंबरों व अंधविश्वासों पर व्यंग किया गया।
    2. न्यू टेस्टामेंट

स्पेन के साहित्यकार: 

सर्वेन्टीज की प्रमुख रचना   डॉन क्वीग्जोट में सामंती जीवन पर व्यंग है।

पुनर्जागरण का  कला पर प्रभाव:


इस काल में  कला के हर क्षेत्र में पुरानी परंपरा को त्याग कर एक नई और स्वतंत्र शैली का विकास हुआ।

पुनर्जागरण का स्थापत्य कला पर प्रभाव: 


  • इस काल में यूरोप में मध्यकालीन गोथिक शैली के स्थान पर ग्रीक-रोमन शैली का प्रचलन हुआ जिसके अंतर्गत श्रंगार सज्जा और डिजाइन पर अधिक बल दिया, पत्थर के स्थान पर लकड़ी का प्रयोग हुआ और नुकीले मेहराब के स्थान पर गोल मेहराब बनाने का प्रचलन बढ़ा।
  • Filippo Brunelleschi रेनेसां कालीन स्थापत्य कला के प्रथम प्रवर्तक थे। इन्होंने फ्लोरेन्स कैथड्रल का गुंबद डिजाइन  किया व फ्लोरेंस में सिटी पैलेस को डिजाइन किया।
  • संत पीटर का गिरजाघर: रेनेसां कालीन स्थापत्य कला का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। राफेल और माइकल एंजोलो ने अपना सारा जीवन इस गिरजाघर के निर्माण में लगा दिया।
  • फ्रांस के लोआर प्रांत के सामंतों के निवास जिन्हें सांतो कहते हैं इसी समय के बने हुए है।


पुनर्जागरण का मूर्तिकला के क्षेत्र में  प्रभाव:


  • इस काल में  धर्म के बंधन से मुक्त मूर्तिकार जितना शौर्य को मूर्त करने में सक्षम था उतना ही करुणा को। इस काल के प्रमुख मूर्तिकार दोनातेल्लो, गिबर्ती और माइकेल एंजेलो थे।
  • दोनातेल्लो: रेनेसां कालीन मूर्तिकला का प्रथम प्रवर्तक अतः इसे रेनेसां कालीन मूर्तिकला का जनक भी कहते हैं इसके द्वारा निर्मित st. Mark आदमकद मूर्ति सर्वश्रेष्ठ हैं दोनातेल्लो ने प्राकृतिक मूर्तियां एवं बच्चों की मूर्तियां बनाई।
  • गिबर्ती: फ्लोरेंस के गिरजाघर के लिए मूर्तियों से सुसज्जित जो सुंदर दरवाजे तैयार किए, वह माइकल एंजेलो के अनुसार स्वर्ग के द्वार पर रखे जाने योग्य हैं।
  • माइकेल एंजेलो: प्रमुख मूर्ति निम्न है
  1. पाइटा: इसमें जीसस को क्रॉस से उतारते हैं तो मदर मेरी ने उन्हें गोद में ले रखा है जहां जीसस दम तोड़ देते हैं।
  2. मूसा की मूर्ति
  3. डेविड की मूर्ति( डेविड बाइबल का नायक है)

पुनर्जागरण का चित्रकला के क्षेत्र में प्रभाव:


  • पुनर्जागरण काल के चित्रकारों ने मजहबी विषय-वस्तु को  नहीं छोड़ा, लेकिन उन चित्रों का प्रस्तुतीकरण मानवी और लौकिक था। प्लास्टर और लकड़ी के फलक (पैनल) के स्थान पर कैनवास का इस्तेमाल शुरू हुआ। तेल चित्रों की परंपरा शुरू हुई पुनर्जागरण कालीन प्रमुख चित्रकार निम्न है
  • लियोनार्डो द विंची: 
    • चित्रकार और मूर्तिकार के अतिरिक्त वैज्ञानिक, गणितज्ञ, इंजीनियर और संगीतकार व दार्शनिक भी था।
    • विंची की पुस्तक: ट्रीटाइस ऑन पेंटिंग
    • प्रमुख चित्र-
      1. मोनालिसा: यह पेंटिंग अपनी रहस्यमयी(कौतुकमयी) मुस्कान के लिए जानी जाती है।
      2. लास्ट सपर: जीसस व उसके अनुयायियों को एक साथ भोजन करते हुए दिखाया गया है।
      3. वर्जिन ऑफ रॉक्स:वर्जिन मेरी और शिशु ईसा की सुंदरता एवं लावण्य का चित्रण किया है।

 माइकल एंजेलो: 

  • एंजेलो ने रोम के सिसटाइन चर्च की छत पर बाइबिल पर आधारित 145 चित्र बनाएं।
  • लास्ट जजमेंट: इस चित्र को देखने से पता चलता है कि मनुष्य भय और आतंक से ग्रस्त हैं तथा ईश्वर के प्रेम और दया की कोई आशा नहीं है।

राफेल:
  • इसके द्वारा निर्मित सिस्टाइन मेडोना  दिव्य नारीत्व का प्रदर्शन करता है।

पुनर्जागरण का  संगीत के क्षेत्र में प्रभाव:

  • संगीत का मुख्य विकास सोलवीं शताब्दी में हुआ था।
  • पियानो व वायलिन का प्रचलन बढ़ गया। 
  • 16वीं शताब्दी का सबसे प्रसिद्ध संगीतज्ञ पैलेस्ट्रीना था।
  • 16 वीं शताब्दी को यूरोपीय संगीत का स्वर्ण युग कहा जाता है।

पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र में प्रभाव

  • पुनर्जागरण ने मनुष्य को मजहबी नियंत्रण से मुक्त करके स्वतंत्र रूप से चिंतन करने का अवसर दिया। नवीन दृष्टिकोण ने मानव मन में प्रकृति के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा को जन्म दिया। 
  • प्रमुख वैज्ञानिक एवं खगोल शास्त्री
  1. कोपरनिकास: आधुनिक खगोल विज्ञान का जनक कहे जाने वाले कॉपरनिकस ने अपनी पुस्तक कनसर्निंग द रिवोल्यूशन्स ऑफ हेवनली बॉडीज में टॉलमी के भू केंद्रीत सिद्धांत का खंडन कर सूर्य केंद्रीत सिद्धांत का प्रतिपादन किया अर्थात पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में नहीं बल्कि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है।  चर्च ने विधर्मी मान उसका साथ देने वाले ब्रूनो को जिंदा जला दिया।
  2. गैलीलियो:  पेंडुलम का सिद्धांत, वायु मापन यंत्र और टेलेस्कोप का आविष्कार किया व इसकी सहायता से
  3. आकाशीय पिंडो का अध्य्यन किया।
  4. जॉन केपलर : गणितीय प्रमाणों द्वारा कोपरनिकस के सिद्धांत की पुष्टि की।
  5. देकार्ते:  बीजगणित का ज्यामिति में प्रयोग करना सिखाया।
  6. आइजक न्यूटन:  गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत  दिया।
  7. वेसेलियस(पुस्तक-कनसर्निंग द स्ट्रक्चर ऑफ ह्यूमन बॉडी ): मानव शरीर की शारीरिक रचना का पूरा विवरण प्रदान किया ।
  8. हार्वे: रक्त परिसंचरण समझाया

मानवतावाद:-

  • मानववादी विचारों से प्रेरित था इसमें सभी विचारों का केंद्र मानव को समझा जाता है अर्थात ईश्वर के स्थान पर मनुष्य दुनिया के स्वामी के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।
  • मानव वादी चिंतकों ने धार्मिक ग्रंथों के वैराग्य व आध्यात्मिकता को त्याग कर सौंदर्य, माधुर्य, मानव प्रेम और भौतिक सुखों को जीवन का सार स्वीकार किया।

पुनर्जागरण के परिणाम


  1. अभिव्यक्ति की भावना का विकास : मनुष्य को कहने सुनने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया था अब वह सम्राट या पॉप के आदेशों के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य नहीं था।
  2. भौतिकता वादी दृष्टिकोण का विकास : पुनर्जागरण कालीन वैज्ञानिकों, विद्वानों, साहित्यकारों और कलाकारों ने मानव संसार को सुंदर और समृद्ध बनाने की बात कही वैज्ञानिक  आविष्कारों द्वारा प्रकृति पर विजय तथा भौगोलिक खोज मनुष्य का लक्ष्य बन गया।
  3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास 
  4.  पुरातन के प्रति मोहभंग 
  5. राष्ट्रीयता का विकास: चर्च और पॉप की सत्ता के प्रभाव में कमी आने से लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।





                         

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